Indian philosophy outlook
Indian philosophy जीवन जीने का तरीका बताने वाली विधा है.. भारत में दर्शन का बहुत गहरा अर्थ है.. यहाँ दर्शन बताने के लिए नहीं है वरन जीने के लिए है.. दर्शन यानी जिसके द्वारा देखा जाय.. लेकिन यह देखना कोई सरसरी देखना नहीं है.. आंतरिक दर्शन ज़रूरी है.. मर्म को जानना है तो इसमें डूबना पड़ता है.. लोग कहते हैं की philosophy पागलों का प्रलाप है… पर ऐसा नहीं है.. philosophy को western philosophical thinker ने मुक्त कंठों से सराहा है.. Nature of Indian philosophy बहुत ही व्यापक है..
Why philosophy
Indain philosophy जीने की राह बताती है.. Western लोग सिर्फ ज्ञान के लिए या बौद्धिक संतुष्टि के लिए ultimate truth या God को जानना चाहते हैं.. उनके लिए philosophy बस चेस सी मानसिक exercise है.. उनको किसी ईश्वर को जानने की असीम चाह नहीं है.. बस just time pass और mental satisfication के लिए जानना चाहते हैं.. हमारे भारत में कण कण में ईश्वर को माना गया है और इस कण कण में बसे भगवान को जानने के लिए पता नहीं कितनी साधना हुई है.. राजपाट त्याग कर Indian philosophy को जाना है यहाँ के लोगों ने…. भारत में हम जानना चाहते है की संसार कैसे बना… जड़ से बना या चेतन से बना.. एक से बना या दो से बना.. आत्मा क्या है.. क्या आत्मा, मन और शरीर एक ही है… क्या कर्म है और क्या पाप पुण्य… ईश्वर है या नहीं.. है तो कैसे है.. नहीं है तो कैसे नहीं है..बार बार जन्म क्यों? मरण क्यों? मोक्ष क्या है… क्या हमारे जीवन का purpose है…. सारांश में Indian philosophy एक जीवन जीने का दर्शन बताती है… Indian philosophy को अगर जानना है तो radhakrishnan philosophy पढ़ें.. आपको पता लगेगा की हमारा गौरव है हमारा दर्शन…
Imdian culture और Indian philosophy के कारण ही हम विश्व गुरु कहलाये.. स्वामी विवेकानंद ने जब शिकागो में प्रवचन दिया तो दुनिया देखती रह गयी.. आज जिस भौतिक सुविधा के पीछे दुनिया भाग रही है, भारत में सुखवाद को भोगने की बजाय सुख को एक ही पल में त्यागा गया है.. राजपाट छोड़कर आत्मा, ब्रहम और ईश्वर को जानना चाहा है… वेद, उपनिषद में reality of life, truth और परम तत्व को बताया गया है..जीवन को दुःख से भरा माना गया है पर self actulisation यानी ख़ुद की पहचान कर दुःखों से सदा सदा के लिए छुटकारे की बात बताई गयी है… चार्वाक eat drink and enjoy की बात करता है तो वेद कर्मकांड और आचरण की शिक्षा देता है.. उपनिषद आत्मा और ब्रहम् की ऐसे व्याख्या करते हैं जो कोई सोच भी नहीं सकता…
वेस्टर्न लोग कहते हैं की भारत में जीवन को दुखों की नगरी माना गया है जबकि हमे जीवन को एंजॉय करना चाहिए… भारत में दर्शन एक ऐसी पत्नी के समान है जिसका पति विदेश में बसा है.. परेशानी है.. दुःख है.. पर हमेशा के लिए नहीं है दुःख.. यहाँ जीवन को सुख दुख दोनों की आँख मिचोली माना गया है.. जीवन में हर पल करम करते हुवे ईश्वर, आत्मा, मन और चेतना को जानना है.. भारत में यह माना गया की पशु और इंसान में एक चेतना के लेवल का ही तो भेद है.. बाकि तो इंद्रिय सुख को पशु बहुत भोगते है.. मानव में और पशु में यही अंतर है की मानव जानना चाहता है बहुत कुछ.. Indian philosophy मानव को जीवन के परम तत्वों से परिचित कराती है.. आज हम मानव में पशु तत्व बढ़ रहा है क्योंकि दर्शन और चिंतन पर आज काई जम चुकी है और हम Indian philosophy और culture को छोड़ वहाँ जा रहे हैं जिसको हमारे पूर्वजों ने एक झटके में त्याग दिया था…
1 thought on “क्या है जीवन और दर्शन”
मानवता का स्थान पशुता लेती जा रही है ।🙏🙏😔😔