Hindi story with moral 1
Hindi story with moral …एक महाराज एक बूढ़ी औरत के घर रोज़ खाना मांगने के लिए जाते.. औरत थोड़ी सनकी थी.. महाराज को खाना देना तो दूर उनको रोज़ अपमानित करती.. पड़ोस के लोग कहते कि महाराज क्यों इससे रोज़ अपमानित होते हो? एक घर छोड़ दो.. महाराज बोले कि मेरा कर्म &धर्म है याचना.. मना करे तो करे.. महाराज हिम्मत नहीं हारते हैं.. एक दिन बूढ़ी औरत गुस्से में आग बबूला बाहर निकली और महाराज की झोली में एक बड़ा सा पत्थर दे मारा.. महाराज बोले कोई बात नहीं माई! इतने समय बाद भाटा दिया है कभी आटा भी दोगी… मित्रो! धैर्य और कर्म बड़ी बात है… मेरे दादीसा बचपन में Hindi story with moral सुनाते थे.. एक आदमी बहुत आलसी था.. पड़ा रहता.. काम का ना काज का दुश्मन अनाज का.. एक दिन पत्नी ने चेतावनी दे कि आज कमाकर लाना.. खाली हाथ लौट आये तो आज भूखे ही रहना.. वो बेचारा इधर उधर गया पर कोई काम नहीं मिला.. अंत में थका हारा बेचारा चिंता में पड़ गया.. आज तो पत्नी खाना नहीं देगी.. क्या लेकर जाऊँ? कुछ लेजाने लायक भी तो नहीं दिख रहा.. इतने में उसको सामने मरा साँप दिखाई दिया.. उसने सोचा कुछ नहीं से तो यह साँप लेकर ही चला जाऊँ.. घर जाकर पत्नी को बताया कि बहुत मेहनत की पर कुछ नहीं मिला.. अंत में यह साँप मिला.. क्या करता इसको ले आया.. पत्नी बोली कि धर्म गर्न्थो में कर्म की महिमा बताई है.. ईश्वर ने आज यही लिखा था भाग्य में… हो सकता है इसमे ही कुछ अच्छा हो.. पत्नी ने पतिदेव को कहा कि साँप को छत पर फेंक आवो.. शाम को कुछ सोचेंगे कि क्या करना है… पति छत पर साँप को ले जाता है.. इसी दौरान एक बाज़ आता है जिसे मुँह में diamond का हार था.. साँप को देखकर बाज़ उस हार को फेंक देता है और मरे साँप को मुँह में पकड़कर ले जाता है… दोस्तों! कर्म की महिमा का इससे अच्छा उदाहरण नहीं हो सकता… कर्म कभी भी बेकार नहीं जाता.. मेहनत हमेशा रंग लाती है… सिर्फ और सिर्फ कर्म और अपना काम करते रहिए…….
motivational story 2
एक नगर में एक फकीर रहता .अल्हड़ मस्त.अपनी जिंदगी में जीने वाला.. फकीरी में अपने वजूद को भूल जाता.. कोई ज्ञान की बात पूछे तो सिर्फ एक दोहा बताता.. ना इससे कम ना इससे ज्यादा.. कोई कहता की महाराज पूरे जीवन में क्या सिर्फ इतना ही ज्ञान लिया.. फकीर बाबा कहते की मर्म तो एक ही है बाकि सब तो बातें है… औरत एक है.. वही माँ है… बहिन है.. बेटी है.. पत्नी है.. दादी है… ऐसे ही सच तो एक ही है.. लोग ग़ाफ़िल है… समझो तो दो आखर ही काफी है बाकि तो लोग ताउम्र हजारों काग़ज काले करके ही भी कुछ नहीं समझ पाते.. फकीर का लोग मजाक उड़ाते.. कहते फकीर बाबा तो तोते की तरह एक ही रटा जवाब देते हैं… मगर फकीर से नगर का सेठ बड़ा प्रेम रखता.. फकीर के पास रोज़ आता.. हर दिन फ़कीर एक ही बात कहता की करिये तो भी डरिये.. ना करिये तो भी डरिये… बुरे आदमी से सदा डरिये ही डरिये.. सेठ इस एक बात को हमेशा बड़े ध्यान से सुनता.. हर दिन सेठ फ़कीर की बात को बड़ी शिद्दत से सुनता.. सेठ रोज़ फ़कीर को एक मोहर देता और वो पगला सा फ़कीर लेता तो ऐसे लेता जैसे कुछ ना लिया हो और सेठ देता तो रोज़ ऐसे देता जैसे कुछ ना दिया हो.. फ़कीर और सेठ बिना बोले ही कभी कभी घंटो बैठे रहते.. बिना कुछ बोले.. बिना कुछ सुने.. एक दिन सेठानी बोली की पुरे नगर में आपके और फ़कीर के चर्चे हैं.. आप क्यों जाते हो वहाँ.. सारे लोग उस फ़कीर को पागल कहते हैं और आपको भी ज्ञान के लिए वही पागल मिला है एक… आज से उसको कुछ मत देना.. कह देना की रोज़ की क्या बकबक है की बुरे आदमी से डरो.. सबको पता है यह बात मगर आज सिद्ध करके बताओ.. सेठ फ़कीर के पास जाता है और सारी बात कह देता है.. फ़कीर कहता है सेठ जी आप घर जावो.. कभी समय आयेगा तब इस दोहे का मर्म बताऊँगा.. काफी समय बीत जाता है.. एक दिन सेठ के घर कोई आदमी दरवाजा खटखटाता है.. सेठानी दरवाजा खोलती है.. बाहर से आया आदमी घर में तेजी से प्रवेश करता है और जौर से चिल्लाया की मेरी पत्नी को जालिम सेठ ने मार डाला.. सेठ बेचारा कुछ समझ नहीं पाए की कौन है और क्या माजरा है.. सेठानी डरी बोली की आप जो चाहे ले लो.. आप कौन हैं और ऐसा झूठ क्यों बोल रहे हो.. सेठ सेठानी जितना मनाने की कोशिस करे वो आदमी इतना ही जौर से चिल्लाये.. इतने में लोग आ गए… पंचायती बढ़ी और वो आदमी राजा के पास जा पहुँचा.. सेठ बेचारा परेशान.कुछ समझ नहीं पाए… वो आदमी अपना पक्ष ऐसे रख रहा था की राजा को लगा की सेठ ने अपने भोग विलास में एक औरत की जान ले ली.. कातर नजरों से सेठ देखे मगर. सारे गवाह कह रहे थे मरी औरत की लाश सेठ के घर में मिली है.. न्याय की अदालत भी यही बोले की सारे सबूत सेठ के नीच होने और एक मासूम औरत के मारने की कहानी बयाँ कर रहे थे.. राजा ने सेठ को गिरफ्तार कर जेल भेजने का आदेश दिया.. इतने में वो आदमी जो अभी न्याय माँग रहा था.. जोर जोर से हँसता जा रहा था.. बकता जा रहा था….
करिये तो भी डरिये..ना करिये तो भी डरिये…बुरीगार से तो डरिये ही डरिये….अर्थात् कुछ करे तो भी डरें..ना करे कुछ तो भी डरें..बुरे आदमी से सदा डरें…
राजा और दरबारी कुछ समझ नहीं पा रहे थे.. वो आदमी फ़कीर था.. अब वो सारी बात बता रहा था.. उसने कहा की मैने जीवन में सेठ को एक ही बात बताई की बुरे आदमी से सदा दूर रहो.. सेठ तो पूरा विश्वास करता मगर सेठानी के यह बात औरों की तरह नहीं जंची.. मैने शमशान से आज मरी औरत की गाडी गयी बॉडी निकाली और सेठ के यहाँ यह सारा नाटक किया.. आपने भी सेठ को सजा सुना दी.. मैं तो फ़कीर ठहरा… सारा नगर मुझ पर हँसता है.. अरे भाई! जीवन में तुम सिर्फ एक ही नियम का पालन विश्वास से कर लो बाकी सारे काम अपने आप हो जायेंगे.. आप एक बात का पालन तो कर ही नहीं पाते.. और क्या सिखाता.. एक साधने से सब सध जायेगा और सब साधने से सब जायेगा.. पर आप समझते कहाँ हो..सेठ फ़कीर के पैरों में पड़ा था.. फ़कीर बेपरवाह एक ही धुन में कहता जा रहा था…. करिये तो डरिये.. ना करिये तो भी डरिये.. बुरीगार से तो डरिये ही डरिये……
Hindi story 3
एक समय एक गाँव में एक महात्मा जी ने धूणी जमा रखी थी.. महात्मा जी साधना में रत रहते तो ऐसे रहते जैसे Hindi story with moral और BEST MOTIVATIONAL STORY में हम पढ़ते हैं की शरीर को अपना ही नहीं किसी और की जागीर मानकर बस मेहमत रूपी हल चलाते जाए.. महात्मा जी सर्दी गर्मी से परे अपनी धुन में राम नाम की धूणी लगाए रहते.चेहरे का तेज और आभा ख़ुद बोल पड़े की साधना हो तो ऐसी…. उस गाँव में जब भी बारिश नहीं होती तब गाँव के लोग उनके पास जाते और महात्मा जी से प्रार्थना करते की आप बारिश के लिए कुछ करो… महात्मा जी नाचते और बारिश हो जाती.. एक बार मेरे जैसे किसी पढ़ें लिखे ने कह दिया सब बकवास है.. महात्मा जी के करने से क्या होता है.. जेट स्ट्रीम , तिब्बत का पठार, मोनेक्स फैक्टर और low pressure जैसे बहुत से फैक्टर होते हैं जिनसे बारिश होती है.. महात्मा जी क्या मानसून है… गाँव वालों ने कहा की यह हम तो बच्चों को पढ़ने के लिए शहर भेजते हैं और यह क्या क्या सीख आते हैं.. पढ़ा लिखा लड़का बोला की मेरी पढ़ाई मुझे दो बातें सिखाती है
1 बारिश आयेगी ही नहीं
2 बारिश अगर महात्मा जी के नाच करने पर आई तो मेरे नाच करने पर भी आयेगी..
गाँव वाले और लड़का अब महाराज की धूणी पर है.. लड़के ने कहा लो महाराज मैं नाचता हूँ.. लड़का नाचा पर थोड़ी ही देर में थक कर बैठ गया.. अब लड़का महात्मा जी की तरफ़ मुस्काया और नाचने को कहा…
अब महाराज नाचे ..पर यह क्या? बारिश तो हुई ही नहीं.. महात्मा जी की तरफ़ लड़का हँसा.. महात्मा जी बेपरवाह नाचते रहे… महाराज थक कर चूर हो गए नाचते नाचते पर अभी भी भी बारिश नहीं हुई… महात्मा जी खड़े होते, नाचते.गिर पड़ते.. खड़े होते और नाच करते…. महात्मा जी ऐसे नाच रहे थे जैसे दुनिया से कोई लेना देना ही नहीं हो.. किसी की सांत्वना की जरूरत नहीं.. किसी के सहारे की जरूरत नहीं.. महात्मा जी बिना रुक नाचते रहे और आखिरकार बारिश हो गयी….
पढ़े लिखे उस लड़के ने पूछा की महात्मा जी वो कौन से दो कारण है जिनसे बारिश हुई… महात्मा जी ने कहा:
1 मैं जब भी नाचता हूँ तब मन में अगाध विश्वास रहता है की बारिश तो होगी ही होगी..हमेशा विश्वास बहुत गहरा होना चाहिए..किंतु परंतु कभी ना हो..
2 जब मैं नाचता हूँ तब यह मानकर चलता हूँ की तब तक नाचूँगा जब तक बारिश ना हो जाए..चाहे एक पल लगे या एक महीना…मैं नाचूँगा..बिना रुके..बिना थके…
दोस्तों! इस hindi story with moral में महात्मा जी तो एक उपमा है.. आप और हमारा विश्वास ही सफलता का अमोघ मंत्र है…
Hindi Story with moral 4
Hindi Story with moral…एक बार एक महात्मा जी समंदर के किनारे टहल रहे थे.. महात्मा जी ने देखा एक बच्चा वहाँ रोरहा है ..महात्मा जी ने बड़े प्यार से पूछा कि बालक तुम क्यों रो रहे हो? बालक ने कहा कि मेरे हाथ में जो यह प्याला है उसमें मैं इस समंदर को भरना चाहता हूँ….पर मेरा प्याला बहुत छोटा है और समंदर मेरी कल्पना से परे विशाल है . समंदर मेरे प्याले में आ नहीं सकता ..इसलिए मैं रो रहा हूंँ….बच्चे की बात सुनकर महात्मा जी के चेहरे की हवाइयाँ उड़ने लगी और महात्मा जी की आंखों में उदासी आ गई .महात्मा जी बच्चे के सामने बच्चे की तरफ फूट-फूट कर रोने लगे ..महाराज सोचने लगे जीवन भर सब कुछ प्राप्त करने की तलाश में, मैं रूपीअहंकार के साथ में जीता रहा जबकि जो ज्ञान था वही पर्याप्त था कल्याण के लिए… जीवन यूँ ही व्यर्थ में बीता दिया.. अपनी छोटी सी बुद्धि के सहारे सारी दुनिया का ज्ञान पाना चाहता था और उस चक्कर में जो ज्ञान प्राप्त किया उसका भी कोई प्रयोग नहीं कर पाया.
बालक ने महात्मा की तरफ़ देखा और अपना प्याला जोर से समंद की और फेंका और बोला की महाराज! मेरा प्याले में समंदर नहीं आ सकता मगर समंदर में मेरा प्याला तो जा ही सकता है… प्याला समंदर में जाए या समंदर प्याले में आये बात तो एक ही है… बात है अंदर समाने की.. अंदर प्रवेश की… भेद क्यों… प्याले और समंदर का…. महात्मा जी बालक की बात सुन रो रहे थे… पर बालक अब कहीं नहीं दिख रहा था… दोस्तों! बालक होता तो दिखता.. यह बालक हमारा अंतस मन है जो आपको और मुझे रोज़ समझाता है पर अपन नादाँ इसकी सुनते नहीं हैं..
दोस्तों! यही हमारा जीवन है… धन, दौलत, ज्ञान, रिश्ते या जो कुछ भी प्याले में है उसका आनँद नहीं ले रहे हैं और बस समन्दर को भरना चाहते हैं..
Hindi story with moral राजा भरथरी अपनी पत्नी से बहुत ज्यादा लगाव था… दुर्संजोग से उनकी पत्नी पिंगला उनको छोड़ कर चली गयी… राजा पागलों की तरह चिल्लाये और रोये.. बस एक ही नाम होंठों पर… हाय मेरी पिंगला… कैसे रहूँ मैं.. मैं नहीं रह सकता… मैं क्यों जिंदा रहा.. मैं ही मर जाता…. है भगवान मैं नहीं रह सकता…. इतने में पास से गोरखनाथ जी निकले और बोले की राजन क्यों मैं मैं कर रह हो… मौत तो सबको आती है… एक दिन सबको जाना है.. कोई अमर पट्ठहा लिखवा कर नहीं लाया है.. राजन बोले की आपको नहीं मालूम मुनिवर! मैं पिंगला को बहुत चाहता हूँ… गोरखनाथ बोले की सबको लगता है उसका प्रेम ही प्रेम है बाकी प्रेम तुच्छ है… भरथरी बोले की मेरे समझ में नहीं आ रहा है की आप क्या कह रहे हैं… गोरखनाथ ने इतने में एक मिट्टी का लोटा हाथ में था, नीचे गिरा दिया और रोने लगे की हाय रे मेरा पसंद का लोटा फूट गया… मैं इसके बिना नहीं रह सकता….गोरखनाथ जोर जोर से रोने लगे.. हाय रे मेरा लोटा…अब मैं क्या करूँ? मैं नहीं रह सकता इस लोटे के बिना… भरथरी बोले की मुनिवर! आप इस लोटे के लिए रो रहे हो, मैं आपको हजारों लोटे दे सकता हूँ…. गोरखनाथ बोले की मैं तुझे हजारों पिंगला दे सकता हूँ… भरथरी ने कातर नजर से देखा.. गोरखनाथ ने अपनी माया से हजारों पिंगला बना दी और भरथरी से बोले की पहचानो राजन! आपकी पिंगला कौन सी है… भरथरी नि:शब्द! क्या बोले… कौन सी पिंगला उनकी यही पता नहीं चले… सब पिंगला सच्ची और सब पिंगला झूठी… सच क्या मालूम पता ही नहीं चले…. गोरखनाथ बोले की राजन! कोई भ्रम और माया नहीं है.. बस मैं और मेरी पिंगला का भाव छोड़ कर देखो.. मैं से बाहर निकल जावो एक बार.. फिर कोई भरथरी नहीं और कोई पिंगला नहीं…
दोस्तों यही हमारा जीवन है जहाँ हम हजारों पिंगला रानी से प्रेम करते हैं और हम कहते हैं की हम उसके बिना रह नहीं सकते हैं… धन, दौलत, वैभव जैसी अनेकों पिंगला है जिसके लिए हम मर रहे हैं… ख़ुद मर रहे हैं पर मैं नहीं मर रहा है…. आज इस Hindi story with moral में हमको मैं मारने का संदेश है..
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